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Kisi Ko Manaa Naa Karna Pade

Posted on 16-Dec-2020 04:09 PM

किसी को मना ना करना पड़े

उदयपुर के पास एक जिला है प्रतापगढ़ वहाँ के थाने की पुलिस के दो कांस्टेबल कुछ वर्ष पहले आए, साथ में एक बुजुर्ग महिला थी जो कुछ बोल नहीं रही थी, बस साड़ी के पल्लु को मुँह में दबाएँ टुकुर-टुकुर देख रही थी। वे पुलिसवाले महिला को वृद्धाश्रम में छोड़ने आए थे। महिला से कुछ पूछा तो बस वो हर बात में गर्दन हिला रही थी। ऐसा प्रतीत हुआ कि वो पूरा नहीं समझ पा रही है लेकिन कुछ भी नहीं समझ रही, ऐसा भी नहीं था। वैसे मानसिक विमंदित को वृद्धाश्रम में नहीं रखते हैं पर वो समझ सुन रही थी, बोल नहीं रही थी और अकेली महिला थी सो निर्णय लिया कि उन्हें तारा संस्थान के वृद्धाश्रम में प्रवेश दिया जाए और तब से वो उदयपुर स्थित श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम के परिवार का सदस्य बन गई और फिर वृद्धाश्रम के साथी आवासियों ने उनको नाम दिया ‘‘सुशीला’’ क्योंकि वो बोल लिख सकती नहीं थी तो अपना नाम कैसे बताती। सुशीला जी लगभग 2 साल से रह रही हैं और मुँह में कोई खराबी के कारण लेट कर खाना खाती है और एक कमी है कि वो बार-बार वृद्धाश्रम से निकल जाती है, जाना कहाँ है ये उनको भी नहीं पता। थोड़ी परेशानी होती है क्योंकि वे हमेशा चुपके से निकलती हैं जब गार्ड की ड्यूटी वाले व्यस्त हों। हमेशा तो 2-3 घंटे बाद मिल जाती हैं लेकिन एक बार 3-4 दिन तक नहीं मिली फिर वृद्धाश्रम की बाई को मिली तो वे ले आईं।

आज जिस मकसद से बात करने को यह आलेख आपको समर्पित है उसकी भूमिका में यह कहानी बताना जरूरी लगा सो बता दी, अब आपको थोड़ा सा मकसद भी बता दे। बात ये है कि ‘‘तारा संस्थान’’ आप सभी के आशीर्वाद से एक और वृद्धाश्रम भवन का निर्माण करने जा रहा है। ‘‘ओमदीप आनन्द वृद्धाश्रम’’ नाम का यह भवन आदरणीय ओमप्रकाश जी और दीपा जी मल्होत्रा के नाम से ‘‘ओमदीप’’ रखा है। मल्होत्रा दम्पत्ति ने संस्थान को फरीदाबाद वृद्धाश्रम का भवन भी दान दिया था और इस भवन के भी मुख्य सहयोगी आप ही हैं। एक बहुत ही नेक काम जो पवित्र यज्ञ की तरह है उसके मुख्य यजमान तो हमें मिल गए लेकिन हम चाहते हैं कि आप सभी भी इस यज्ञ से जुड़े क्योंकि जिस काम में अधिक-से-अधिक लोगों का साथ मिलता है उसे कुदरत अपने आप सफल बनाती है क्योंकि जितने सज्जन जुड़ेंगे उतनी ही सद्भावनाएँ भी मिलेगी। आपसे निवेदन है कि लेख के अंत में भवन निर्माण हेतु कुछ दान योजनाएँ हैं उनमें आप सहयोग करें और अपना या अपने परिजनों का नाम इस भवन में अंकित करावें।

जैसा कि आप जानते हैं, तारा संस्थान के 4 वृद्धाश्रम हैं ‘‘श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम, उदयपुर’’, ‘‘ओमदीप आनन्द वृद्धाश्रम, फरीदाबाद’’, ‘‘रवीन्द्र नाथ गौड़ आनन्द वृद्धाश्रम, प्रयागराज’’ और ‘‘राजकीय वृद्धाश्रम, उदयपुर’’। सबमें मिलाकर लगभग 200 की क्षमता है और ये क्षमता तीन चौथाई तक भर गई हैं। हम लोगों ने जब पहली बार वृद्धाश्रम खोला था और वो भरने लगा तो भी लोग आते थे तब मन में बस एक ही विचार आता था कि ‘‘किसी को मना ना करना पड़े’’ क्योंकि असहाय से कोई बुजुर्ग आपसे उम्मीद लगाकर आएँ तो आप उन्हें नाउम्मीद नहीं कर सकते हैं, उनको मना करना ऐसा ही होगा जैसे कि अपने माता-पिता को मायूस करना। प्रभु कृपा है कि अनेक दानदाता हर वक्त मदद करते हैं और हम आगे से आगे जगह की व्यवस्था करते जाते हैं। न सिर्फ नए भवन बल्कि प्रतिमाह खर्च की व्यवस्था भी पिछले 8-9 वर्षों से हो रही हैं और बस ऐसा होता रहेगा यही विश्वास है। हमें बहुत से सुझाव आते हैं कि आप लोग क्यों नहीं Paid वृद्धाश्रम खोलें, सुझाव बहुत अच्छा है पर यही लगता है कि जो पैसा खर्च कर सकते हैं उनके लिए तो बहुत विकल्प हैं पर सुशीला जी जैसे यदि कोई हों तो उनके लिए सड़क पर भीख माँगते तिल-तिल कर मरने की स्थिति हो जाती है। हमें लगता है कि ज्यादा जरूरत उन जैसे लोगों को है जिनके पास कुछ नहीं है लेकिन वाजिब सम्मान के हकदार तो हैं वो। और जो सक्षम हैं वे भी यदि रहना चाहें तो आकर रह सकते हैं। ये द्वार तो खुले ही हैं और सुविधाएँ भी वो सब हैं जो हम अपने माता-पिता के लिए सोचते हैं।

आपसे करबद्ध निवेदन है कि ‘‘ओमदीप आनन्द वृद्धाश्रम’’ भवन निर्माण की योजना में छोटे से स्वरूप में ही अवश्य जुड़े, आपका सहयोग और आशीर्वाद ही हमारी शक्ति है।

 

भवन निर्माण सौजन्य राशि :
भवन निर्माण सहयोगी ‘‘दधीचि’’ रु. 100000/-
भवन निर्माण सहयोगी ‘‘कर्ण’’ रु. 51000/-
भवन निर्माण सहयोगी ‘‘भामाशाह’’ रु. 21000/-

- कल्पना गोयल

 

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