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"Gauri" Ek Maa... Sirf Bachcho Ke Liye...

Posted on 20-Aug-2018 11:12 AM
”गौरी“ एक माँ... सिर्फ बच्चों के लिए...
मैंने बचपन में एक कहानी पढ़ी थी पूरी कहानी तो याद नहीं कर तो धुंधली सी यादे हैं, उसका कुछ सार इस प्रकार है कि ‘‘एक मुर्गी अपने चूजों के साथ रहती है और उसे पता चलता है कि अगले दिन उसे काटा जाएगा तो वो अपने चूजों से कहती है कि कल मैं तुमसे दूर चली जाऊँगी तो बच्चे पूछते हैं कि कहाँ जाओगे तो वापे आसमान के तारों को दिखाकर कहती है कि मैं भी एक तारा बन जाऊँगी और वहाँ से तुम सबको देखुंगी.... अगले दिन मुर्गी काट दी जाती है और बच्चे भी उसके बिछाह में प्राण त्याग देते हैं’’
वैसे तो पषुओं में परिवार व्यवस्था बहुत ज्यादा नहीं होती है लेकिन माँ और बच्चों का रिष्ता तो विषेष होता ही है। कई बार मैंने डिस्कवरी चैनल पर देखा है हिरण या गाय को अपने बच्चों को बचाने के लिए शेर या चीते से लड़ते हुए और कभी-कभी तो वे अपने बच्चे को बचाने में कामयाब भी हो जाती हैं। सच में वो माँ ही होती है जो अपने बच्चे के लिए अपने प्राण दांवपर लगाने की हिम्मत रखती है। 
गौरी योजना पर आधारित तारांषु का यह अंक है तो माँ-बच्चों की बात तो होनी ही थी। मनुष्य प्रजाती तो पूरी तरह परिवार आधारित है और भारत में विषेषकर निम्न आय वर्ग में इस परिवार को चलाने की जिम्मेदारी पुरुष की ही होती है और जब परिवार का कमाने वाला सदस्य ही नहीं रहे तो। आप और हम सोच भी नहीं सकते इतनी कठिन परिस्थितियों से छोटी-छोटी लड़कियाँ हर पल लड़ती हैं। हमारे समाज की रूढ़ियाँ इन्हें पुर्नविवाह नहीं करने देती.... परिवार और बाहर के भेड़ियों से खुद को बचाते हुए ये लड़कियाँ पूरी जिन्दगी एक ही लक्ष्य को लेकर चलती हैं कि मेरे बच्चे पढ़ लिख जाऐ। वे अपनी सारी इच्छाएँ मारकर अपना सब कुछ बच्चों पर खर्च करना चाहती हैं ताकि बच्चे कुछ बन जाऐ आँखों में इतना-इतना दर्द है कि आप जरा सा पूछों तो छलक जाती हैं।
एक महिला होने के नाते इस दर्द का एहसास शायद अधिक होता है तभी तो वृद्धजनों के लिए कार्य करते हुए भी थोड़ी छूट ले ली जिससे कि इन दर्द का पहाड़ झेल रही बेटियों को सहारा मिल सके और हाँ हमारी बहुत सी दानदाता महिलाऐं भी तो हैं तो वे भी इनका दर्द बांटना चाहेगी ही। बस इसलिए ये ‘‘गौरी’’ योजना है जो इन हर पल लड़ती बच्चियों को थोड़ी सी ताकत देती है। 1000 रु. के क्या माचने हैं ये जब आप उनसे मिलेंगे तो आपको पता चलेगा और मैं चाहुँगी कि आप जब भी उदयपुर आए एक दो गौरी योजना की लाभार्थियों से जरूर मिलिएगा आपको 1000 रु. की ताकत पता चल जाएगी। मुझे अच्छी तरह पता है कि तारा संस्थान, आप या मैं कोई भी सारी विधवा महिलाओं का दुख दूर नहीं कर सकते है लेकिन जितनी भी महिलाओं को सुकून दे सकें वो क्या कम है और ये सिलसिला खत्म थोड़े हो रहा है जैसे-जैसे दानदाता जुड़ेंगे और एक माँ को मदद मिलती चली जाएगी....
आदर सहित....!
 
कल्पना गोयल

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