Follow us:

Blog


Bachcho Ke Liye

Posted on 20-Aug-2018 12:09 PM

बच्चों के लिए

बहुत लंबे समय से तारांशु के माध्यम से आप सभी को ‘तारा’ के नये वृद्धाश्रम के बारे में बताते रहे, इन्हीं आलेखों में आपको निमंत्रित भी किया। एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था तो उस पर काफी बात हमने की। आप सबने हमारे निमंत्रण को स्वीकारा भी और खुले हाथों से सहयोग भी दिया, इसके लिए आभार।
इस बार के अंक में हम बात करते हैं तारा की एक नई योजना की जो बच्चों से जुड़ी है। थोड़े समय पहले उदयपुर के चिकित्सा विभाग से आदेश आया कि तारा नेत्रालय को उदयपुर जिले के दो ब्लॉक के स्कूल के बच्चों की जाँच कर ऐसे बच्चे छांटने हैं जिनकी नजर कमजोर है और उन्हें चश्मे भी देने हैं। विभाग का आदेश था कि संस्थान 309 ऐसे बच्चों को चश्मे देवें। संस्थान ज्यादातर बुजुर्गों के लिए काम करती है तो बच्चों के लिए काम करने का अवसर मिला तो तुरंत हाँ कर ली क्योंकि बच्चों के लिए कुछ भी करना सभी को अच्छा लगता है। इस काम में जो भी राशि मिल रही थी उससे अधिक खर्च होना था। ये भी पता था लेकिन हमने इस कार्य को हाथ में लिया और अभी तक 285 बच्चों को चश्मे दिए जा चुके हैं। लगभग 40 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें तारा नेत्रालय जाकर विस्तृत जाँच कराने को कहा गया है क्योंकि उनकी अच्छे से जाँच की आवश्यकता है शायद कुछ को मोतियाबिन्द भी होवें। इस योजना से एक नई दिशा हमें भी मिली है कि जब हम 4 आँखों के अस्पताल चला रहे हैं तो हम ये ही मान कर क्यों चले कि आँखों की समस्या बुजुर्गों में ही होगी। पढ़ाई कर रहे बच्चों को तो सही दिखाई देने की सबसे ज्यादा जरूरत है, उनका पूरा भविष्य सामने है। और यदि एक भी बच्चे के मोतियाबिन्द है और समय पर उसका ऑपरेशन होने से उसकी आँखे बच जाए तो उसका पूरा जीवन सुधर जाएगा। हमारे पास ऐसे कई बच्चे आए हैं जिनके पका हुआ मोतियाबिन्द था और यदि समय पर ऑपरेशन नहीं होता तो वे अंधे हो जाते। लेकिन कैम्प में सामान्यतः ये बच्चे नहीं आते हैं। ये तो वो बच्चे थे जिन्हें बिलकुल दिखना बन्द हो गया था तो उनके माता-पिता तारा नेत्रालय लेकर आए। यदि बच्चों के स्कूलों में जा जाकर शिविर लगाए जायें जहाँ बच्चों कि निःशुल्क नेत्र जाँच हो मुफ्त में चश्मे उन्हें मिलें। यदि किसी बच्चे को ज्यादा तकलीफ हो तो उसके माता-पिता को बताया जाये कि आप अस्पताल लेकर आवें। और इन शिविरों को दानदाताओं के माध्यम से व्तहंदप्रम करें तो विस्तृत तौर पर इन्हें किया जा सकता है। बिना इस त्मेजतपबजपवद के कि केवल सरकारी स्कूलों में ही जाँच हो क्योंकि ढेर सारे गरीब बच्चे हैं जो कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं और साथ में क्षेत्र की सीमा भी नहीं हो जिधर भी चाहें उधर यह जाँच कर सकें। तो मोटा मोटा अनुमान लगाया कि 15000 रु. में लगभग 200 बच्चों की जाँच करेंगे इसमें हर जाँच होने वाले बच्चे को लगभग 20 रु. तक का सामान जैसे पेंसिल, रबर शार्पनर आदि बांटेंगे और जो भी बच्चे चश्मे के लिए ैमसमबज होंगे उन्हें चश्मा बनाकर दिया जाएगा। स्कूलों में तारा संस्थान की एक गाड़ी जिसमें ऑप्ट्रोमेट्रिस्ट के साथ दो स्टाफ जाएँगे और जिन बच्चों को मोतियाबिन्द या अन्य कोई बड़ी समस्या है उनके माता-पिता की फोन पर ब्वनदेमसपदह की जाएगी जिससे बच्चे की आँखों की रोशनी ना जाए।
जून माह में तारा संस्थान को कार्य करते हुए 7 साल हो जाएगें, जो भी सोच ईश्वर ने दी उसे साकार आप सब ने किया है और बच्चों के लिए यह एक नई सोच है जिसका क्रियान्वयन अभी बाकी है, मुझे लगता है कि इस बार भी आप सबका साथ इस योजना को सफल बनाएगा।
आदर सहित....

दीपेश मित्तल

Blog Category

WE NEED YOU! AND YOUR HELP
BECOME A DONOR

Join your hand with us for a better life and beautiful future