Santushti
संतुष्टि
जून, 2011 से तारा संस्थान ने पूर्ण रूपेण कार्य करना प्रारम्भ किया था उसके पहले कुछ कैम्प कुछ लोगों की मदद से करते रहे थे लेकिन वो बहुत थोड़ा सा काम था। तारा नेत्रालय, उद
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अपना घर
हर माह आपसे रुबरु होने का तारांशु एक साहित्यिक माध्यम है, सोशल मीडिया के इस युग में प्रिंटेड पढ़ना भी अब ‘‘कुछ अलग’’ हो गया है।
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छुट्टी गर्मी की...
हमारे देश की खूबसूरती ही यह है कि यहाँ सारे मौसम है और हर मौसम अपने चरम पर पूरे शवाब से आता है। ठिठुरती ठंड में अलाव, कोट और रजाई, बारिश में छाता और बरसाती और
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जोश से भरे बच्चे
तारा संस्थान में हम एक सायंकालीन स्कूल चलाते हैं, जिसका नाम है ‘‘मस्ती की पाठशाला’’। इसका विचार मेरे मन में तब आया था जब मैंने कुछ बच्चो
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जीवन का मूल मंत्र
एक राजा ने अपने दरबार में घोषणा की कि मुझे एक ऐसा मंत्र चाहिए जो सारे मंत्रों से ऊपर हो जिसका हर परिस्थिति में उपयोग हो सके। सारे मंत्री और दरबारी परेशान हो गए कि
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ऐ मेरे वतन के लोगों...
लता जी का ये गाना कहते हैं नेहरू जी की आँखों में पानी ले आया था और हम सब भी जब भी ये गाना सुनते हैं हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी गाने की एक पंक्ति ये
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गेहूँ के दाने...
एक कहानी सुनी थी जो कुछ इस प्रकार थी। एक राजा के 3 बेटे थे, राजा बहुत ही सोच में रहते थे कि इनमें से किसे अपना उत्तराधिकारी बनाऊँ क्योंकि वे चाहते थे कि सबसे श्
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उड़ी उड़ी रे पतंग...
1 जनवरी की सुबह मैं घर से निकला तो गाड़ी सीधे ‘‘तारा’’के नये वृद्धाश्रम भवन की तरफ मोड़ ली क्योंकि मुझे न्योता था कि आज आनन्द वृद्धाश्रम
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HAPPY NEW YEAR
1 जनवरी, 2019 वैसे तो सब कुछ सामान्य ही था लेकिन कैलेण्डर में बदलता हुआ साल दिल में थोड़ा उत्साह तो पैदा कर ही देता है, तो नये साल की नई सुबह में, मैं उठकर पास के
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